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बिना साथ जिसके गुजारा नहीं है / अंजनी कुमार सुमन

बिना साथ जिसके गुजारा नहीं है
वही शख्स फिर भी हमारा नहीं है

हमें दुश्मनी भी पसंद आ रही है
उसे दोस्ती भी गवारा नहीं है

जिसे देखकर हम खिले फूल जैसे
अभी सामने वह नजारा नहीं है

दुआ में उठाया अलग बात है यह
कभी हाथ खुद का पसारा नहीं है

मिली मंजिलें तो, कहूँगा यही बस
मैं खुद साहसी हूँ, सहारा नहीं है