भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिन-बूझ पहेली (बहिर्लापिका) / अमीर खुसरो

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक नार कुँए में रहे,
वाका नीर खेत में बहे।
जो कोई वाके नीर को चाखे,
फिर जीवन की आस न राखे।।

उत्तर – तलवार

एक जानवर रंग रंगीला,
बिना मारे वह रोवे।
उस के सिर पर तीन तिलाके,
बिन बताए सोवे।।

उत्तर - मोर।

चाम मांस वाके नहीं नेक,
हाड़ मास में वाके छेद।
मोहि अचंभो आवत ऐसे,
वामे जीव बसत है कैसे।।

उत्तर - पिंजड़ा।

स्याम बरन की है एक नारी,
माथे ऊपर लागै प्यारी।
जो मानुस इस अरथ को खोले,
कुत्ते की वह बोली बोले।।

उत्तर - भौं (भौंए आँख के ऊपर होती हैं।)

एक गुनी ने यह गुन कीना,
हरियल पिंजरे में दे दीना।
देखा जादूगर का हाल,
डाले हरा निकाले लाल।

उत्तर - पान।

एक थाल मोतियों से भरा,
सबके सर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे,
मोती उससे एक न गिरे।

उत्तर – आसमान



बिन बूझ पहेली या बहिर्लापिका, इसका उत्तर पहेली से बाहर होता है।