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बिन देखे नञ मिलतो / कैलाश चौधरी
Kavita Kosh से
एही जिनगी में
जिनगी के आनन्द हो
बहार नञ हो भीतर हो
भीतर जाके देखऽ
बाहर घूमते रह जईबऽ
नञ मिलतो
भीतर जाके खोजऽ
मिल जइतो।
ई हाथ से बटोरे के चीज नञ हो
साधन-भजन जे चीज हो
जदि चाहऽ हऽ तो सदगुरु से
साधन के औजार ले ला
नाम ही औजार हो
नाम ही छेनी, गंयतीं कुदार हो
नाम ही औजार से
अपन अन्दर खोदऽ
जेतना खोदबऽ ओतना मिलतो
बिन खोदले नञ मिलतो
आज-कल करते मत रहऽ
नञ तो जिनगी अइसही गुज़र जइतो
सोचऽ मत
भजन-सुमिरन से
अपन अन्दर जाके देखऽ
आनन्द ही आनन्द हो