बिन भूमि जमीदारा सूना बिन बालम के गौरी / मेहर सिंह
बिना बाप का बेटा सूना बिन माता के छोरी
बिन भूमि जमीदारा सूना बिन बालम के गौरी।टेक
बिना बाप के बेटे नै कोए आछी भूण्डी कैहज्या
थप्पड़ घुस्से लात मार दे वो बैठ्या बैठ्या सैहज्या
मन मैं उठैं झाल समन्दर आख्यां कै म्हा बैहज्यां
जिस का मरज्या बाप वो बेटा चन्दा की ज्यूं गहज्या
कर कै याद पिता नै रोवै या काया काची कोरी।
बिन माता की छोरी की तै रहज्या मन की मन मैं
ओढ़ण पहरण खाण पीण तै कती रहती मैले तन मैं
के जीणा उस बालक का जिसकी मां मरज्या बचपन में
साबत रात आंख ना लागै सपने आवै दिन मैं
मात बिना रै ऐसी लागै जैसे चन्दा बिना चकोरी।
तीसरी कली नहीं मिली
बिन बालम की गौरी का तै फिकाए बाणा हो सै
आछी भूण्डी कैह कै उस तै पाप कमाणा हो सै
मनै जाट के घर में जन्म लिया घणा न्यूं शर्माणा हो सै
जाट मेहर सिंह साज बिना तै कुछ ना गाणा हो सै
साची बात बखत में कह दे उस साची मैं के चोरी।