भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिन मिलती जोट मिलाई / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बिन मिलती जोट मिलाई
मरियो मात पिता अन्यायी बिन मिलती जोट मिलाई
देस बिराणा बालम याणा जानें ना सार हमारी
ऊंट के गल में बूट बांध दिया खारी खारी खारी
मरियेा मात पिता अन्यायी बिन मिलती जोट मिलाई