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बिपता के म्हं फिरूं झाड़ती घर-घर के जाळे / बाजे भगत
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बिपता के म्हं फिरूं झाड़ती घर-घर के जाळे
सैर करया करैं दुनिया के म्हं धन माया आळे
घर तै बाहर फिरण की कोन्या आदत मेरी सै
तेरी टहल म्हं हरदम रहणा दुखिया दासी तेरी सै
मनै इतनी सैल भतेरी सै मेरे जां बेटे पाळे
म्हारे गळ म्हं घल रही सै दुख: विपता की डोरी
सैर करया करै साहुकार और सेठां की गोरी
रोटी खाणी मुश्किल होरी म्हारे वक्त टळै टाळे
जिनके घर नगरी छुट्टे वे सब तरियां बिस सहैं
पेट गुजारा करणा न्यूं बणकै तेरे दास रहैं
जो सैर करैं तौ लोग कहैं के ये कररे सैं चाळे
‘बाजे भगत’ भक्ति करकै भव सागर पार तर ले
इस मृत लोक नै छोड़ कै अपणा सुर पुर धाम कर ले
जिनपै ईश्वर राजी के कर लें, जड़ काटणियां साळे