भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिरछ अर आदमी-5 / पूर्ण शर्मा पूरण
Kavita Kosh से
टाबरपंणै मांय
दादी
रोज सुणांवती
घर साम्ही ऊभै नींम रै
हांसंणै
मुळकंणै
सांस लेवंणै
अर बतळावंणै री बातां
पंण हाल
नां दादी है
नां नींम ई।