बिरहिन बैठी राह में, नागिन आई धाय / महेन्द्र मिश्र
बिरहिन बैठी राह में, नागिन आई धाय।
नागिन डर गई देखके, बिरहिन डँसे न आय।।
अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया रे ननदी दियरा जरा दे।
दियरा जरा दे आपना भइया के जगा दे
नसे-नसे उठेला लहरिया रे ननदी दियरा जरा दे।
एक त मुएनी हम आपना दरद से
दोसरे ई रतिया अन्हरिया रे ननदी दियरा जरा दे।
पूरूब गइनी राम पछीम गइनी से
कतहूँ ना मिले बिसहरिया रे ननदी दियरा जरा दे।
के मोरा अंगुरी के जहर उतरिहें
के मोरा हरिहें लहरीया रे ननदी दियरा जरा दे।
पटना सहरिया से बैदा बोला दे
पोरे-पोरे उठेला दरदिया रे ननदी दियरा जरा दे।
तरपेला देहिया जइसे जल बिनु मछरिया
रेंगनी के काँट भइली, सेजरिया रे ननदी दियरा जरा दे।।
झूठ भइल ओझवा के झाड़-फूँक मंतर
अब त जीयब जब उहे दीहें जन्तर।
बान्ही लीहे हमरी नजरिया रे ननदी।
कहत महेन्दर ननदी भइया के बोला दे,
उनहीं से उतरी इ लहरिया रे ननदी दियरा जरा दे।