भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिल्ली गिरी धड़ाम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
गूगल में चूहा लिखकर जब,
क्लिक का बटन दबाया।
चूहों का एक झुण्ड उभरकर,
मॉनीटर पर आया।
उन्हें देखकर बिल्लीजी के,
मुंह में पानी आया।
झपटी उन चूहों पर लेकिन,
पकड़ एक न पाया।
वह तो छाया चित्र मात्र थे,
कहाँ पकड़ में आते।
बिल्ली गिरी धड़ाम वहीं पर,
परदे से टकराके।