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बिल्ली बोली म्याऊँ / सूर्यकुमार पांडेय
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बिल्ली बोली म्याऊँ,
पास तुम्हारे आऊँ ।
अच्छे लगते दूध-दही,
उनको क्यों तुम छिपा रही ?
जी करता चोरी-चुपके,
सबको चट कर जाऊँ..!
बिल्ली बोली म्याऊँ ।
खीर भरी रक्खी प्याली,
उसको कर दूँगी ख़ाली ।
आँख बचा धीरे-धीरे,
मौज- मज़े से खाऊँ..।
बिल्ली बोली म्याऊँ ।
मुँह में भरा हुआ पानी,
करो नहीं आनाकानी ।
मुझको भी खाने तो दो,
मैं कैसे समझाऊँ..?
बिल्ली बोली म्याऊँ ।