भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिल्ली मौसी जा जा / बालकृष्ण गर्ग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिल्ली बोली-’बिल से बाहर
आ जा चूहे राजा,
लाई हूँ रसगुल्ले ताजा
जल्दी आकार खा जा’।
चूहा बोला- ‘अरी, बंद कर
अपने मुंह का बाजा,
और किसी को दे यह झाँसा
बिल्ली मौसी, जा जा!’
       [रोचक शिशुगीत, सन 2000]