भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिल्लो रानी, कहाँ चली / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिल्लो रानी, कहाँ चली,
कहाँ चली जी, कहाँ चली?
मैं जाऊँगी बड़े बजार,
खाऊँगी अब टिक्की चार।
सुना, वहाँ की चाट गजब है,
टिक्की का तो स्वाद अजब है।
लच्छूमल की दही-पापड़ी
खाऊँगी मैं थोड़ी रबड़ी।
फिर आऊँगी झटपट-झटपट,
आकर दूध पिऊँगी गटगट।