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बिषहरी का इन्द्रासन जाना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे पांचो ते बहिनी हे माता इन्द्रासन गेली हे।
होरे सभा हो लगाये जे बैसल इन्द्र देवलोक हे॥
होरे एकटंगा दिये हे माता ठड़ा भय गेलो हे।
होरे देले तो हुकुम हे देवता बैसहु जे आवे हे॥
होरे बोले त लगली हे देवी पांचों ते बहिनी हे।
होरे सत तो करहु हे देवता तबे ते वैसब हे॥
होरे सत न करब देवता हम ना बैसब हे।
होरे सत जे करई हे देवता पुर इन्द्रलोक हे॥
होरे तीनों युग सत जे दैली देवी बिषहरी हे।
होरे सत जे करवो हे बिषहरी मांगे महादान हे॥
होरे देहोमोरा आवे हे देवलोक चांदो सौदागर हे।
होरे देहो मोरा आवे हे देवलोक बीर हनुमान हे॥
होरे देहो मोरा आवे हो देवलोक इन्द्र नटुआए हे।
होरे बोले लागल रे दैवा तैतीस कोटि देवता हे॥
होरे चन्दवा जे लेवे बिषहरी कौन काज होते हे।
होरे चन्दवा जे पूजे बिषहरी तैंतीस कोटि देव हे।
होरे हनुमान लेवे बिषहरी कौन काज हो तो हे॥
होरे नटुआ जे लेवे बिषहरी कौन काज होते हे।
होरे बनियाँ पूजत देवता मैना बिषहरी हे॥
होरे नटुआ जनक हे देबे चांदी के आवास हे।
होरे गोढ़े जे सुमिरन हे देवलोक वीर हनुमान हे॥

होरे एतना करती हे देवलोक हमरा देहो हे।
होरे देलक हुकुम हे देवता तैंतीस कोटि देव हे॥
होरे तैंतीस कोट देवता हे दैवा कैल बिश्राम हे।
होरे इन्द्र के मन्त्री दैवा पूछे तब लागल हे॥
होरे सुख जे लिखल चान्दो दुख तो पइबे रे।
होरे ऐसे जे बचन माता कहबे बुझाव हे॥
होरे बारह बरस रे चान्दो पलटतौ राज हे।
होरे तेरहवां बरस रे चान्दो पलटतौ राज रे॥
होरे विहुला जाइतै रे रैवो पलटतौ राज रे।
होरे करम लिखल रे दैवा मेटले नहीं जाय रे॥
होरे इन्द्रासन तेजी हे देवी मृत भुवन देले पाँव हे।
होरे चान्दवा आवास हे माता देले दरशन हे॥
होरे पाँचे तो बहिनी हे माता बोले ते लगली हे।
होरे आवहु पुजहु रे बनियाँ मैना बिषहरी रे॥
होरे पूजन में आवे रे बनियाँ लेले वहियाच रे।
होरे हमें नहीं पूजवै रे देवी कानीबेंगा खौकी रे॥
होरे तोरे मोरे आवे हे बिषहरी लागल विवाद हे।
होरे बोले लागली बिषहरी चंदवा से जवाब हे॥
होरे छैयो पुत्र तोर रे बनियाँ त्रिवेनी डुबवबोरे।
होरे बारह तो डेगी रे बनियाँ सकल डुबवबोरे॥
होरे धन तो सम्पात्तरे बनियाँ सकल डूवायबे रे।
होरे तोहरो डूबयवोरे चान्दो ठहुनाभरि पानी रे॥
होरे तैयो नाहीं माने रे दैवा चान्दो सौदागर रे।
होरे पाँचो तो बहिनी रे माता रोदन करेले हे॥