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बिषहरी का जाना चौपाई नगर में / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे चलि वरु भेली बिषहरी चौपाई नगर हे।
होरे जायतो जुमलीहे बिषहरी चांदवा आवास हे।
होरे पांचो तो बहिनी हे बिषहरी देले दरशन हे॥
होरे पूजहू अबंरे बनियाँ देवी बिषहरी रे।
होरे पूछे ते लागलरे धनियाँ चांदो सौदागर रे॥
होरे कहाँ में औतार जो लेले कहाँ तोर वास हे।
होरे बोले ते लगली हे माता पांचो बहिन बिषहरी हे॥
होरे महादेव के जटा जे संगे लेला अवतार रे।
होरे कमल के दह रे बनियाँ झूमरी खेलल रे॥
होरे धरम के बाप जे कीक ईश्वर महादेव हे।
होरे राजा होय तोहरे बलिया लेले अवतार हे।
होरे मृत तो भुवन रे राजा भैले सरदार रे।
होरे पूजा देहो आवो बनियाँ चांदो सौदागर रे॥
होरे पूजा नाम आवे बनियाँ लेले बही आय रे॥
होई हमें नहीं पूजह दैवो कौनो बेटी खौकी रे।
होरे वेंगवा ...रे छीको तोहरो आहार रे॥
होरे बोले ते लगली रे माता मैना बिषहरी हे।
होरे बिषहरी पुजवा रे बनियाँ भलफल पाइब रे॥
होरे बिषहरी नपुजवा रे बनियाँ बड़ दुख दैवौ रे।
होरे दुर-दर आवे रे बनियाँ छेलै बिहिआह रे।
हेरि जाये तो जुमली हे बिषहरी सोनापुरघाट हे।
होरे पांचो तो बहिन हे बिषहरी सोनापुरघाट हे॥
होरे पूजा लये आवे रे चांदो बड़ दुख विवाद रे।
होरे तोरे मोरे आवे रे चांदो लागल विवाद रे॥
होरे पूजा नाहीं देबारे बनियाँ अनेक दुख देबौरे।
होरे छवो पुत्र देवो रे बनियाँ लंका बनीज रे॥
होरे बारह तो ढिंगारे बनियाँ त्रिवेनी डुबाय बौरे।
होरे छवो कोरी मलहारे बनियाँ त्रिवेनी डुबाय बौरे॥