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बीच जनवरी में / आग़ा शाहिद अली / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
धरती पर गिरी
बर्फ़ वैसे ही जगमगाती है
जैसे किसी प्रेमिका की
ज़मीन पर झुकी नज़र
प्रेमी को दहाती है
मौसम बदल गया है
बुराक़ सफ़ेद
बर्फ़ की गमक से
सदाबहार हरियाली
भी ढकी हुई है
सफ़ेद नमक से
सो रहे हैं बर्फ़ से ढके
ऊँचे पहाड़
पर उनके बीच जगा हुआ है
हमारा प्यार !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय