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बीज / कुमार अंबुज
Kavita Kosh से
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जो पराजित है वह धन है संसार का
यह हवा बहेगी
एक हारे हुए का जीवन सँभालने के लिए ही
जो जानती है कि पराजित होना जिंदगी से बाहर होना नहीं
दाखिल होना है एक विशाल दुनिया में
जिंदगी में दाखिल हो गए इस व्यक्ति को
ईर्ष्या और प्रशंसा और अचरज से
देखता है जीवन से बाहर खड़ा आदमी
वह समझ ही नहीं पाता है कि वह तो
फ्रेम से बाहर खड़ा हुआ प्रेक्षक है एक
जो पराजित है और टूट नहीं गया है
वह
नए संसार के होने के लिए
एक नया बीज है !