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बीती बातें याद न कर / महावीर प्रसाद ‘मधुप’

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बीती बातें याद न कर
पत्थर से फ़रियाद न कर

सांसों के अनमोल रतन
बातांे में बर्बाद न कर

नफ़रत की दीवारों की
पुख्ता यूं बुनियाद न कर

तोड़ किसी के दिल को तू
अपने दिल को शाद न कर

औरों को बेघर करके
अपना घर आबाद न कर

मन के शातिर घोड़े को
काबू रख आज़ाद न कर

आशिक़ बन कर शीरीं का
अपने का फ़रहाद न कर

होकर तू मग़रूर कभी
दंगा और फ़साद न कर

ज़हर उगल कर खुद अपने
दुश्मन लातादाद न कर

‘मधुप’ वतन के बाग़ी की
भूले से इमदाद न कर