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बीमारी / मारिन सोरस्क्यू / मणि मोहन मेहता

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डॉक्टर , मैं महसूस कर रहा हूँ
कि कुछ घातक घट रहा है
मेरे ज़ेहन के आस-पास
हर एक अंग दुख रहा है,
दिन के वक़्त सूर्य पीड़ा में है,
रात को चाँद और सितारे ।

आसमान में
उस बादल के टुकड़े में
मैं महसूस कर रहा हूँ एक टाँका
जिस पर मैंने कभी ध्यान नहीं दिया
हर सुबह जागता हूँ
मैं ठण्ड के अहसास के साथ ।

बेकार ही लीं मैंने तमाम दवाएँ
मैंने नफरत की , प्रेम किया, पढ़ना सीखा
और ढेर किताबें पढ़ डालीं
सम्वाद किया लोगों से, थोड़ा बहुत चिन्तन भी,
मैं सह्रदय रहा और ख़ूबसूरत भी
परन्तु इन में से
कुछ भी काम नहीं आया, डॉक्टर !
और ये तमाम साल यूँ ही गुज़र गए,
डर का वाज़िब कारण है मेरे पास
मैं जिस दिन जन्मा
मृत्यु से ग्रस्त हो गया था ।