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बीसवीं सदी / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
जो भी कहा जाना था
कह रही है बीसवीं सदी
पसर कर पृथ्वी पर
उड़ कर अंतरिक्ष में
धँस कर अतल नील में...
- मुझे जो कहना था
- कह रही है बीसवीं सदी
ख़र्च हो चुके जब कविता के समस्त उपादान
चुक गई प्रेरणा
खुल गए प्रयोजन
तब मैं भी चिल्लाया बीसवीं सदी! बीसवीं सदी!--
उस कवि से बस एक क़दम पीछे
जो अभी-अभी गया है गुज़र कर