बीसे बीड़ा जोर (मूरहागीत) / परसराम वर्मा
संज्ञा के छाय नइये रथिया के अंजोर
टूटहा हे गाड़ा अंगी टूटहा हे डोर
जादा झन जोरवे संगी बीसे बीड़ा ज़ोर
बुढ़वा ठुढ़वा भंइसा मोर तेला आये हे खुरहा
दू झन हे लइका मोर दूनों झन हे मूरहा
एक झन के ददा नइये एक झन के दाई
भाई के सगे बहिनी नइये बहिनी के सगे भाई,
बाई के विहाता पति नइये, विवाहित पत्नी मोर
ननहे ननहे लड़का मोर तनिक ओला गियान नइये
पढे बार जायथे सचमुच पढ़ई में ओकर घियान नइये
दुर्मत में अपन अपन ले पीस पीस खाये चटनी
ठीक से खूंटा डाड़ी नइये गाड़ी म ठीक से नइये पटनी
तेमा फंदाही दूठन बुढ़वा भंइसा मोर ....
मोर एक ठन हाथ नइये बाई के एक ठन गोड़
मोर एक आंखी नइ ये बाई के एक ठन कान
संझा बिहीनिया दूनों जून ओला चाहिय पान
काम बूता नइ करे सकै ओकर मुंहे भर ला जान
तेकरो एक चटरहा दूरा सउत बेटा हवय मोर ....