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बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों / साहिर लुधियानवी

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बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों
मोहब्बतों के दीये जला के
मेरी वफ़ा ने उजाड़ दी हैं
उम्मीद की बस्तियाँ बसा के

तुझे भुला देंगे अपने दिल से
ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
न दिल को मालूम है न हम को
जियेंगे कैसे तुझे भुला के
बुझा दिए हैं ख़ुद अपने...

कभी मिलेंगे जो रास्ते में
तो मुँह फिरा कर पलट पड़ेंगे
कहीं सुनेंगे जो नाम तेरा
तो चुप रहेंगे नज़र झुका के

न सोचने पर भी सोचती हूँ
कि ज़िंदगानी में क्या रहेगा
तेरी तमन्ना को दफ़्न कर के
तेरे ख़यालों से दूर जा के

बुझा दिए हैं ख़ुद अपने...