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बुतखाना नया है न खुदाखाना नया है / नज़ीर बनारसी

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बुतखाना <ref>मन्दिर</ref> नया है न खुदाखाना <ref>मस्जिद</ref> नया है
 जज़्बा है अकीदत <ref>श्रद्धा</ref> का जो रोजाना नया है

इक रंग पे रहता ही नहीं रंगे जमाना
जब देखिये तब जल्वाए जानाना <ref>महबूबा का प्रदर्शन</ref> नया है

दम ले लो तमाजत <ref>सूरज की गर्मी</ref> की सतायी हुई रूहो
पलकों की घनी छाँव में खसखाना <ref>खस का मकान, झोंपड़ा</ref> नया है

रहने दो अभी साया-ए-गेसू ही में इसको
मुमकिन है सँभल जाये ये दीवाना नया है

बेशीशा-ओ-पैमाना <ref>बिना बोतल और गिलास</ref> भी चल जाती है अक्सर
इक अपना टहलता हुआ मैखाना नया है

बुत कोई नया हो तो बता मुझका बरहमन
ये तो मुझे मालूम है बुतख़ाना नया है

जब थोड़ी-सी ले लीजिय, हो जाता है दिल साफ
जब गर्द हटा दीजिये पैमाना नया है

काशी का मुसलमाँ है ’नजीर’ उससे भी मिलिये
उसका भी इक अन्दाज फकीराना नया है

शब्दार्थ
<references/>