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बुतरु आरो विनती / अमरेन्द्र

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दू-दू गो रसगुल्ला दे
केला छिलका खुल्ला दे
लेमनचूस के गोली दे
पन्नी ओकरोॅ खोली दे
दूध-दही के कुल्ला छी
हम्में बुतरु फुल्ला छी ।