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बुद्धिजीवी / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 

पहाड़ पर ठंड तलाशते हम लोग
कितने बड़े बुद्धिजीवी है!
चार दिन में
चालीस हजार को फूंक आते है!
और बिजली का बिल
या
ट्यूशन की फीस के लिए
लोन लेते हैं
रोते हैं धोते हैं
और फिर
याद करके आहें भरते हैं
कितना अच्छा मौसम था!
सुंदर बाजार
सींक कबाब!
और फिर अगले साल
पहाड़ की तैयारी का ताना बाना
बुन लेते हैं