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बुद्ध और अंगुलिमाल / कृष्ण कुमार यादव
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ठहरो!
तुम आगे नहीं जा सकते
फिर भी बुद्ध आगे बढ़ते रहे
अविचलित मुस्कुराते हुए
चेहरे पर तेज के साथ
अँगुलिमाल अवाक्
मानो किसी ने सारी हिंसा
उसके अन्दर से खींच ली हो
क़दम अपने आप उठने लगे
और बुद्ध के चरणों में सिर रख दिया
उसने जान लिया कि
शारीरिक शक्ति से महत्त्वपूर्ण
आत्मिक शक्ति है
आत्मा को जीतना ही
परमात्मा को जीतना है ।