मानसून का
हाल बुरा है
बुरा हाल पंचायत घर का
रामदीन
टकटकी लगाये
देख रहा घनघोर लड़ाई
'अ' जो कल तक कहते थे फिर
'ब' ने बात वही दुहराई
'अ' 'ब' को
अब एक समझिए
नाम अलग है कहने भर का
एक झुण्ड कहता
उत्तर को
झुण्ड दूसरा दक्षिण जाता
कहीं न जाना किसी झुण्ड को
केवल झूठी बात बनाता
रामदीन
यह खेल देखता
और पी रहा घूँट जहर का
जो आया
वो मौन हो गया
कुर्सी का कुछ जादू ऐसा
पंचायतघर का सम्मोहन
छाया उन पर जाने कैसा
मुखिया जी
के मन में बनता
दिन भर नक्शा नए शहर का