बुलडोजर / बोधिसत्व
एक चूड़ी की दुकान में
एक सिन्दूर की दुकान में
अजान के समय घुसा वह बुलडोजर की तरह !
उसने कहा मैं — चकनाचूर कर दूँगा वह सब कुछ, जो मुझसे सहमत नहीं !
जो मेरे रंग का नहीं
उसे मिटा दूँगा !
उसे आंसू नहीं दिखे
उसे रोना नहीं सुनाई दिया
उस तक नहीं पहुँचीं टूटने की आवाज़ें
उसे बर्तनों के विलाप नहीं छू पाए !
उसे खपरैलों की चीख़ ने छुआ तक नहीं
कुचलने को वीरता और तोड़ने को शौर्य कहकर
ढहाता रहा टुकड़े टुकड़े जोड़ी
कोठरियों और आँगनों को !
देश की राजधानी में भी हाहाकार की तरह था वह
अपनी नफ़रत भरी उपस्थिति से समय को विचलित करता
एक संवैधानिक व्यभिचार की तरह था !
वह आएगा और सब कुछ उजाड़ जाएगा
यह कहकर डराते थे बुलडोजर के लोग
उनको जो बुलडोजर के स्वर में स्वर मिलाकर नारे नहीं लगाते थे
जो बुलडोजर का भजन नहीं गाते थे
बुलडोजर उनको मिटाने की घोषणा करता
घूम रहा है !
बुलडोजर को किसी की परवाह नहीं
क्योंकि उसे एक ग़रीब ड्राइवर नहीं
राजधानी में बैठा कोई और चला रहा था
जिसे सब कुछ कुचलना और गिरा देना पसन्द था !
जो तोड़ने की आवाज़ सुनकर ख़ुश होता था
और जब कुछ न टूटे तो
वह बिगड़े बुलडोजर की तरह
सड़क किनारे धूल खाता रोता था !