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बुल्ले शाह की सीहरफी - 1 / बुल्ले शाह

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अलफ - अल्लाह जिस दिल पर होवे।
मुँह ज़रदी अक्खाँ लहू भर रोवे।
आपणे जीवन तों हत्थ धोवे।
जिस नूँ बिरहों अग्ग लगावे।
लागी रे लागी बल बल जावे।

बे - बालण मैं तेरा होई।
इशक नज़ारे आण वगोई<ref>कहना</ref>।
रोन्दे नैण ना लैन्दे ढोई।
लूण फट्टाँ ते कीकर लावे।

ते - तेरे संग प्रीत लगाईं।
जीओ जामे दी कीरी साईं।
मैं बक्करी पास बिरहों<ref>जुदाई</ref> कसाई।
कट्ट कट्ट माँस हड्डाँ नूँ खावे।

से - साबत नेहों लाया मैनूँ।
दूजा कूक सुणावाँ कीहनूँ।
रात अद्धी ओह ठिलदी नैं नूँ।
ओह कूंज वाँगूं कुरलावे।

जीम - जहानों चोई साँ न्यारी।
लग्गा नेहों ताँ होए भिकारी।
पए बुल्ले सूल पसारे।
लोग लोग उलांभे दे दे तावे।

हे - हैरत बिन साएत नाहीं।
ज़ाहर बाताँ माराँ ढाहीं।
झात बत्तण<ref>अंदरूनी</ref> नूँ लावाँ दाईं।
सीने सूल प्रेम दी धावे।
तुध बिन कौण जो आण बुझावे।

खे - खुबी हुण ओह न रहीआँ।
जब दी सांग कलेजे सहीआँ।
आहीं नाल पुकाराँ कहीआँ।
तुध बिन कौण जो आवे बुलावे।

दाल - दूरों दुःख दूर न होवे।
फक्कर फिराकों से बहुता रोवे।
तन भðी दिल खल्लाँ धोवे।
इशक अक्खीं विच्च मिरच लगावे।

ज़ाल - ज़ोक दुनिआँ ते इतना करना।
खौफ हशर दा ज़रा न करना।
चलनाँ नबी साहिब दे सरना।
ओड़क जा हिसाब करावे।

रे - रोज़ हशर कोई रहे न खाली।
लै हिसाब दो जग्ग दा वाली।
ज़ेर ज़बर सभ भुल्लण आली।
तिस दिन हज़रत आप छुडावे।

जे - जुहद<ref>पवित्र</ref> कमाई चंगी करीए।
जेकर मरन तों अग्गे मरीए।
फिर मोए भी ओस तों डरीए।
मत्त मोयाँ नूँ पकड़ मँगाए।

सीन - साईं बिन जार ना कोई
जित्त वल्ल वेक्खाँ ओही ओही।
होर किते वल्ल मिलेना ढोई।
मेरा मुरशद पार लँघावे।

शीन - शाह अनायत मुरशद मेरा।
जिस ने कीता मैं बल फेरा।
चुक्क ग्या सभ झगड़ा झेड़ा।
हुण मैनूँ भरमावे तावे।

सुआद - खबर ना आवे मैनूँ,
खुली वस्त बज़ार।
कासद<ref>डाकिया</ref> लै के विदेआ होया,
जा फड़ेआ दरबार।
अग्गों मिलेआ आए के ओहनूँ,
होया सोर असवार।
रस्ते विच्च अंगुश्तरी<ref>अँगूठी</ref> आही,
ऐसी ऐसी भई बुलावे।

जुआद - ज़रूरी यार अल्ला दे,
आ करन सवाल रसूल।
नवें असार<ref>शे’र</ref> कलाम सुणाईं,
मैं दरगह पई कबूल।
एह मज़ाजी<ref>दुनियावी</ref> जात हकीकी,
वासल<ref>परमात्मा के साथ एक</ref> वसल वसूल।
फ़ारग हो के हजरत ओत्थे,
आवे खाणा खावे।

तोए - तलब दीदार दी आही,
कीता करम सत्तार<ref>दयावान</ref>।
जलवा फेर इलाही होया,
हज़रत नूँ गुफ्फार<ref>कृपालू</ref>।
हत्थ नूरानीं गैबों आवे,
मुन्दरी दी चमकार।
बुल्ला खलक मुहम्मदी कीते,
ताँ एह की कहावे?

जोए - ज़ाहर मलूम ना कीता,
होया दीदार भुलावे।
रल के सइआँ खाणा आधा,
ज़रा अंत ना आवे।
ओह अंगूठी आप पछाती,
आपणी आप जितावे।
बुल्ला हज़रत रुखसत हो के,
आपणे यार सुहावे।

ऐन - अनायत<ref>मेहर</ref> उलफत<ref>प्यार</ref> होई,
सुणे असहाबो यारो।
जेहड़ा हुण ना करसी हज़रत<ref>सत्कार</ref>,
झूठा रहे सरकारों।
फिर शकायत ओहनाँ ही करनी,
साहिब दे दरबारों।
बुल्ला किबर ना करीए दुनिआँ उत्ते,
इक्का नज़री आवे।

गैन - गुलाम गरीब तुसाडा,
मंगे खैर दरबारों।
रोज़ हशर<ref>परलो</ref> दे खौफ सुणींदा,
सद्द होसी सरकारों।
कुल ख़लाइक<ref>खलकता</ref> तलखी<ref>अन्दर</ref>,
सूरज दे चमकारों।
बुल्ला असाँ भी ओत्थे जाणा,
जित्थे गया ना भावे

फ़े - फ़िकर फकीराँ कीता,
विच्च दरगाह इलाहीं।
शफीर<ref>पैगम्बर</ref> मुहम्मद जा खलोते,
जित्थे बेपरवाही।
नेड़े नेड़े आ हबीबाँ,
एह मुहब्बत चाही।
खिरका<ref>कबीला</ref> पहन रसूल अल्ला दा,
सिर ते ताज लगावे।

काफ - कलम रवानां मिटदी नाहीं,
जो असाँ पर आई।
जो कुछ भाग असाडे आहा,
ओह ताँ मुड़दा नाहीं।
बाझ नसीबों दावे केहे,
भुल्ली कुल्ल खुदाई।
बुल्ला लेह महफूज ते लिखिआ,
ओत्थों कौण मिटावे।

काफ - कलाम नबी दी सच्ची,
सिर नबीआँ दा साईं।
सूरत पाक नबी अजेहा,
चंद सूरज भी नाहीं।
हीरे मोती लाल जवाहर,
पहुँचे ओत्थे नाहीं।
मजलस ओस नबी दी बह के,
बुल्ला कौण कहावे।

लाम - ला इल्ला दा ज़िकर बताओ,
इलालिला असबात<ref>यकीन</ref> कराओ।
मुहम्मद रसूल अल्ला कह मेल मिलाओ,
बुल्ला एह तोहफा आदम नूँ आवे।

मीम - मुहम्मदी जिस्म बणाओ,
दाखल विच्च बहशत कराओ।
आपे आप शैतान भजाओ,
फिर आदम ओत्थों आवे।

नूँन - निमाणा मुजरम है आया,
कड्ढ बहश्तों जिमीं रुलाया।
आदम हव्वा जुदा कराया,
बुल्ला आप विछोड़ा पावे।

व - वाह वाह आप मुहम्मद आपणी,
आदम शकल बणावे।
आपे रोज अज़ल<ref>पहला दिन</ref> दा मालक,
आपे शफीह हो आवे।
आपे रोज़ हशर दा काज़ी,
आपे हुक्म सुणावे।
आपे चा शिफाइल<ref>इलाज करना</ref> करदा,
आपे ही दीदार करावे।

हे - होली बोली एत्थे भाई,
मताँ कोई सुणे सुणावे।
वड्डा अज़ाब<ref>दुख, तकलीफ</ref> कबर दा दिसे,
जे कोई चा छुडावे।
पुरसलात<ref>दुल</ref> दी ओक्खी घाटी,
ओह भी खौफ डरावे।
तूँ रक्ख उमैद फज़ल दी बुलिआ
अल्लाह आप बचावे।

लाम - लांभ न कोई दिसे मैनूँ,
कित वल्ल कूक सुणावाँ।
जित वल्ल वेक्खाँ नजर ना आवें,
किस नूँ हाल विखावाँ।
बाझ पीआ ना हामी कोई,
होर नहीं कोई थावाँ।
बुल्ला मल दरवाज़ा हज़रत वाला,
तैनूँ ओह छुडावे।

अलफ - इकल्ला जावें एत्थों,
वेक्खण आवण ढेर।
साहाँ तेरिआँ दी गिणती एत्थे,
आई होई नेड़।
शताबी ओत्थे वड़ चल्ल बुलिआ,
मत लग्ग जावे देर।
पकडत्रीं वाग रसूल अल्ला दी,
कुछ जित्थे हत्थ आवे।

ये - यारी हुण मैं लाई,
अगली उमराँ खेड वाँई।
बुल्ला शाह दी जात ही आई,
कलमा पढ़दिआँ जिन्द लै जावे।
लागी रे लागी बदल जावे,
इस लागी को कौण बुझावे।

शब्दार्थ
<references/>