बूढ़ों का कम्प्यूटर / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
हमसे भी तो बात करो कुछ,
प्यारे भैया कम्प्यूटर,
कुछ दिन का तो साथ करो जी,
प्यारे भैया कम्प्यूटर।
हम सत्तर साला बूढ़े हैं,
हम तुम से अनजान बहुत।
नहीं जानते तुम्हें ज़रा भी,
पर बच्चों को भान बहुत।
नहीं कभी कम्प्यूटर देखा,
बचपन और जवानी में।
थोड़ा-थोड़ा नाम सुना था,
किस्सों और कहानी में।
थोड़ा ज्ञान हमें भी दे दो,
प्यारे भैया कम्प्यूटर।
क्या होता है गूगल उगल,
ज़रा हमें भी समझा दो।
कैसे चालू बंद करेंगे,
हमको भी तो समझा दो।
इंटर नेट बला क्या होती,
इसके बारे में बोलो।
हम बूढ़ों की बंद अक्ल को,
क्लिक की चाबी से खोलो।
थोड़ा तो संवाद करो अब,
प्यारे भैया कम्प्यूटर।
खुलवा दो एकाउंट हमारा,
हम भी तो ई मेल करें।
पास वर्ड डलवा दो भैया,
हम भी थोड़ा खेल करें।
हमें फेस बुक से जुडवा दो,
हम मित्रो से चेट करें।
बड़े बड़ों की पोल खोल दें,
उनको मटिया मेट करें।
हमसे भी तो बात करो कुछ,
प्यारे भैया कम्प्यूटर