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बून्दें / अर्पिता राठौर
Kavita Kosh से
गहरे सागर को
छोड़,
भाग आई हैं
कुछ बून्दें यहाँ…
जो
सरोकार रखतीं है
अपने एक-एक क्षण से
क्षणभंगुरता से नहीं…