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बून्द का मतलब समन्दर है / मनोज जैन 'मधुर'

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दृष्टि है इक बाहरी
तो एक अन्दर है।
बून्द का मतलब समन्दर है ।

          कौन है जो सांस देकर
          सुध हमारी ले रहा।
          देह-नौका,भव-जलधि में
          रात-दिन जो खे रहा ।

तेज से जिसके दमकता
सूर-चन्दर है ।

          कञ्ज - सम भव-पङ्क में
          खिलना हमारा ध्येय है ।
          सत्य, शिव, सुन्दर, हमारा
          सर्वदा पाथेय है ।

ऊर्ध्वगामी बोध दे जो
वह पयम्बर है ।

          ब्रह्म -वंशज हम सभी हैं
          ब्रह्म-मय हो जाएँगे ।
          बैन सुन अरिहन्त भाषित
          शिव अवस्था पाएँगे।

जीतकर खुद को हमें
बनना सिकन्दर है ।