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बू-ए-गुल, रंगे-हिना, कुछ भी नहीं / शिवशंकर मिश्र
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बू-ए-गुल, रंगे-हिना, कुछ भी नहीं
वादा-शिकवा, हाँ कि ना, कुछ भी नहीं
तू नहीं तो जमाने में क्या रखा
जिंदगी तेरे बिना, कुछ भी नहीं