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बेंग आषाढ़ी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
झरिया केॅ बोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
बुतरू सेॅ लोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
केना केॅ टपकतै भला खेती लेॅ जे पानी
बादल सेॅ मोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
ढक-ढक करै केबाड़ी फोका कभी फूटी
मौसम सेॅेॅ खोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
भरलै दरार खेत केॅ, पोखरी मेॅ संघरलै
साँपोॅ सेॅ झोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
डुबकी लगाबै आर तेॅ उ पार मेॅ निकलै
पानी केॅ डोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।