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बेईमान कै दिन की खातिर ले कै चलल्या बुराई / मेहर सिंह

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जवाब रानी अम्बली का

सौदागर तेरै कीड़े पड़ियो दुखिया बीर सताई
बेईमान कै दिन की खातिर ले कै चलल्या बुराई।टेक

कोए कर्म तै राज करै सै कोए दलै सै दाणा
कोए इन हाथां दान करै मोहताज मांग रह्या खाणा
अपणे मतलब का ना होता धन और रूप बिराणा
सोच समझ कै चाल दुष्ट सै धर्मराज घर जाणा
ऊंच नीच का ख्याल नहीं तूं लाग्या करण अंघाई।

पाप धर्म तोलण की खातर धर्मराज घर नरजा
कितै धर्म तुलै कितै पाप तुलै सै न्यारा न्यारा दर्जा
जित धर्म तुलै उड़ै सुरग मिलै तुलै पाप नरक मैं गिरज्या
जै इतनी कहे की भी ना मानै तै नाक डुबो कै मरज्या
मैं लागूं सूं बहाण तेरी तूं मेरा धर्म का भाई।

भले आदमी शुभ कर्मा तै भव सागर तर ज्यांगें
बुरे आदमी बेईमानी मैं सिर बदनामी धर ज्यांगें
भठियारी जै धमका दे सहज बात डर ज्यांगें
दो बालक मेरे याणे याणे रो रो कै मर ज्यांगें
तूं जहाज रोक दे मैं तलै उतरज्यां बहुत घणी दुःख पाई।

ढके ढकाए ढोल म्हारे ये नहीं उघड़ने चाहिए
बीर मर्द म्हारे दोनूं बेटे नहीं बिछड़ने चाहिए
पतिभ्रता के बोल क्रोध के पार लिकड़ने चाहिए
भठियारी कै और तेरै पापी कीड़े पड़ने चाहिए
मेहर सिंह कैह चुपका होज्या मरले परै कसाई।