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बेकदर को दिल दिया है देखना कैसे निभे / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बेकदर को दिल दिया है देखना कैसे निभे
एक तो सरदी की मौसम दूसरे पाला पड़े
तीसरे राजा नहीं है रैन रो रो के कटे
एक तो गरमी महीना दूसरे लूआं चले
तीसरे टपके पसीना बूंद जीवन मैं पड़े
एक तो बरखा की मौसम दूसरे मैंहा पड़ै
तीसरे बोले पपीहा ठेस सीने मैं लगे
एक तो सावन महीना दूसरे हींडा घले
तीसरे झूलेगी सखियां चीर सीन पै खिले