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बेकसों को सताने से क्या फ़ायदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'


बेकसों को सताने से क्या फ़ायदा
दिल किसी का दुखाने से क्या फ़ायदा

साज़े-दिल के हैं सब तार टूटे हुए
फिर कोई गीत गाने से क्या फ़ायदा

है ज़रूरी इबादत में दिल भी झुके
बेसबब सर झुकाने से क्या फ़ायदा

दिल चुरा ही लिया है ये तुमने तो फिर
अब ये नज़रें चुराने से क्या फ़ायदा

ज़ह्न में जो भी है साफ़ कह दीजिये
बात दिल में छुपाने से क्या फ़ायदा

आते ही रट लगाई है जाने की बस
ऐसे आने न आने से क्या फ़ायदा

उनसे कह दो कि आ जाएँ दिल में 'रक़ीब'
नाज़-नख़रे दिखाने से क्या फ़ायदा