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बेख़ुदी आए बेकली आए / रविकांत अनमोल

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बेख़ुदी आए बेकली आए
मेरे हिस्से भी शायरी आए

दिल को रहती है जुस्तजू जिसकी
वो मिरे सामने कभी आए

जिसमें हम ज़िन्दग़ी को जी पाएँ
कोई तो ऐसी ज़िन्दगी आए

मेरी ग़ज़लों से रौशनी फैले
मेरे गीतों से सरख़ुशी आए

कुछ तो आ जाए मेरे हिस्से भी
वस्ल आ जाए, हिज्र ही आए

मेरे शे'रों में कुछ नज़र उनको
मेरे इस दिल की तिश्नगी आए