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बेख़ुदी का पयाम है शिमला / ईश्वरदत्त अंजुम

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बेख़ुदी का पयाम है शिमला
सूफ़ियाना कलाम है शिमला

ज़िन्दगी के तिलिस्म से मशहूर
एक शायर की शाम है शिमला

माल पर रौनकें रवां हर सू
किस क़दर खुश खिराम है शिमला

इस कि ठंडक भी आंच देती है
मय का लबरेज़ जाम है शिमला

इक सवेरा है गुनगुनाता हुआ
एक शादाब शाम है शिमला

एक सौगाते-रहमते-यज़दा
एक बख़्शिश का नाम है शिमला

है यर शौको-शबाब का मसकन
कितना आली-मक़ाम है शिमला

हम भी शिमला चलें कभी 'अंजुम'
एक दिलकश मक़ाम है शिमला।