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बेगानगी / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
जो शहर अपनी आवारगी के लिए मशहूर था,
वहाँ ग़ज़ब की बेगानगी है ।
जो लोग शहर को ज़िन्दा रखे हुए थे,
वे बूढ़े हो चुके हैं ।
कुछ लोगों ने स्वर्ग का रास्ता तय
कर लिया है ।
उनकी संततियाँ पूँजी के ख़तरनाक खेल
में उलझ चुकी हैं,
कलाएँ उनके लिए वक़्त बरबाद करने
के अलावा कुछ नही हैं ।
इस शहर के लिए बेचैन नही होती है
उनकी आत्मा,
वे इससे बड़े किसी शहर का सपना
देखते हैं ।
जिनका इस शहर से कोई वास्ता नही
वे इस शहर के शासक बने हुए हैं ।