भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बेटी का पिता होना / शुभम श्री

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कितनी मुलायम हो जाती है
माथे की शिकन
एक बेटी का पिता बनने के बाद

ख़ुद-ब-ख़ुद-ब-ख़ुद छूट जाता है
मुट्ठियों का भिंचना, नसों का तनना
कॉफ़ी हाउस में घण्टों बैठना

धीरे-धीरे संयत होता स्वर
धीमे...धीमे...पकती गम्भीरता
और, देखते...देखते... मृदु हो उठता चेहरा

एक बेटी का जन्म लेना
उसके भीतर उसका भी जन्म लेना है
सफ़ेद बालों की गिनती
ओवरटाइम के घण्टे
सबका
निरन्तर बढ़ना है

बेटी का बाप होना
हर लड़के के नाम के साथ 'जी' लगाना है
या शायद...चरागाह में उगा पौधा होना

लेकिन
(बहुत मजबूर हो कर लिया गया कर्ज़

और उसके सूद तले दबा कर्ज़दार हो कर भी
बेटी का पिता होना
एक साहसी सर्जक होना है
(या सर्जक मात्र केवल !)