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बेटी की कविता-1 / नरेश चंद्रकर
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गांधी फ़िल्म देखते हुए
जलियाँवाला बाग के दृश्य में
बन्दूकों पर अटकती है उसकी निगाह
"पापा, ये बन्दूकें अच्छी नहीं हैं
दीवार पर तीर चिपकानेवाली
मेरी बन्दूक अच्छी है!"
एक अबोध विस्मय में
डूबकर कहती है वह!