बेटी के माय के पाती / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा
बेटी हउ जुआन घर में फटो हउ परान कते कहियौ बतिया
अबकी नय उपजल हे धान कि करियौ गुमान लिखो हीयौ पतिया
सगरो से घुमि घामि अइला न कजै कोय मिले लड़का,
धुर-धुरकी जेकरो नय पास ऊ कहे हे हम ही बड़का,
कोय माँगे दस कोय बीस लाख घर न दुआर खिड़की,
कोय कहे चानसन सुन्नर देखावो हमरा अप्पन लड़की,
लड़करा बकलेल ढहलेल बी.ए. फेल ऊहो मांगे तड़का,
रूप-अपरूप हम्मर बेटी के हे कैसे हम बियाही करका,
जेठ आ आषाढ़ बीतल नींद नय आवो हउ बेटी दिन रतिया,
बेटी हउ जुआन घर में फटो हउ परान कते कहियौ बतिया
बेटा के पढ़ाय छूटल नौकरी नय कजै मिलल फैलल भ्रष्टाचार
मँहगी अकास चढ़ल, सब चीज के दाम बढ़ल, दिनों में अन्हार
घर में कुमार बेटी उपजे नय धान खेती भारी हाहाकार
करजा के बोझ भारी कोय अपन जान देहे मिलै नय अहार,
कहियो सुखाड़ मारै कहियो दहाड़ आवै कैसें बीते साल
दुर्दिन लगे हे सगर, सूझै न एको डगर हाल है बेहाल
धूर धुरकी बेचो पड़तै, गहना भंजावो पड़तै बेटी के वियाह,
लड़का के खोज-खाज हार गेलों कत्तौ नय मिले हमरा राह,
अँखिया से लोर गिरौ लिखलो ने जाहौ फटौ हमर छतिया
बेटी हउ जुआन घर में फटो हउ परान कते कहियौ बतिया,
भोर-भिनसार तक जागो हियौ कखनोनय आवौ निंदिया
कब बेटी बनत सुहागन कब माथा में लगत बिंदिया,
बचपन से आयतक दुलार कैलों, कैसे हम भसाबी एकरा
मिले नय कजै कोय लड़का सुनावी हम दरद केकरा
सुरसासन तिलक आ दहेज बढ़ल क्रान्ति के कुमारी आवो हे
तिलक आ दहेज के भगावे लागी सब मिलके गीत गावो हे,
लड़की के माँग में सिन्दूर भरो पाँव में महावर रचो हे,
घर-घर ले भी करे परता माय सबके खरजितिया
बेटी हउ जुआन घर में फटो हउ परान कते कहियौ बतिया।