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बेटी के याद में / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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बेटी तांे ही हलें घर के सिंगार तों ही तो मददगार हलेंगे।
बेटी बड़ी लाड़ प्यार से पोसलिऔहल,
तोरे पर गुमान कैलियौ गे।
बेटी कोना-कोना खोजि के जमाय कलियौ,
तोरे पर धियान देलियौ गे।
बेटी तों ही माय बाप के परान हलें,
तोंही जीतहार हलें गे।।
बेटी सगरो नगरिया खोजि अइलियौ,
न कतौ तोरा देखो हियौ गे।
बेटी घर परिवार सब छूटि गेलौ,
सुनें कैसे लिखो हियौ गे।
बेटी सुख-सेहाग तोहर अचल रहौ
सुखी संसार रहौ गे।।
बेटी सास-ससुर तोहर माता-पिता,
ससुरारी धाम हकौ गे।
बेटी पूरे घर गाँव तोरा याद करौ,
सभे परिवार हकौ गे।।