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बेटी तो बेटी होती है / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा
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बाबा के आँगन की शोभा
माँ के आँचल का मोती है।
बेटी तो बेटी होती है॥
माता की कोख पवित्र करे
जो जीवन सुखद विचित्र करे।
उसके आंचल में गिर गिर कर
बनता अंगारा मोती है।
बेटी तो बेटी होती है॥
वह सीता है या सलमा है
वह गीता है या कलमा है।
जब जब घायल होती अस्मत
आँसू से मुखड़ा धोती है।
बेटी तो बेटी होती है॥
लुट जाती है चौराहों पर
मिट जाती मन की राहों पर।
बनती विभूति कल्याणमयी
धरती बन प्रीति सँजोती है।
बेटी तो बेटी होती है॥