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बेटी / कुमार संभव
Kavita Kosh से
एक आदमी
जे परेशान छेलै
दर-दर भटकी रहलोॅ छेलै
बेटी के बियाह लेली
दहेज जुटावै लेली
वें कहलकै
बेटी अभिशाप छेकै
पिछला जनम के पाप छेकै
दोसरोॅ दार्शनिक मुद्रा में
ओकरा आगू में खाड़ोॅ होयकेॅ बोललै
बेटी अभिशाप नै छेकै
बेटी विधाता रो वरदान छेकै
आदमी के पिछला जनम रोॅ पुण्य छेकै
बेटी के सहारा चाहियोॅ
बेटी के संबल बनोॅ
ओकरा पाँव केॅ ताकत दहोॅ
बेटी ही तेॅ दुरगा छेकै
भगवती, शक्ति के देवी छेकै
भगवती, शक्ति के देवी छेकै
बेटी ही तेॅ लक्ष्मीवाई छेकै
गर्भ में धारण करि केॅ जनम दै वाली माय छेकै
की, की, नै छेकै बेटी
बेटी केॅ नै मारोॅ
बेटी केॅ बचाबोॅ।