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बेटी / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
बेटा न हो तो
अपूर्ण है परिवार
याद रहा हमें
बेटी न हो तो
घर की देहरी
न केवल अपूर्ण
अपवित्र बनी रहती है
भूल गये हम