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बेटे को माँ की सीख / मंजुश्री गुप्ता

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'बेटा
आज मैं बहुत खुश हूँ
की आज तुम
अपनी जीवन संगिनी लाने जा रहे हो
इस शुभ दिन पर
तुम्हे खूब सारा प्यार और आशीर्वाद
साथ ही कुछ बातें याद रखने की
हमेशा याद रखना
की तुम्हारी पत्नी हंसती मुस्कुराती
गुडिया या शो पीस
या तुम्हारे इशारों पर नाचने वाली
कठपुतली नहीं
वह एक जीता जगता इंसान है
बिलकुल तुम्हारी तरह
उसके भी अपने
अरमान और आदतें हैं
उसे भी तुम्हारी कुछ बाते
बुरी लग सकती हैं
उसके माता पिता ने
उसे पढाया लिखाया
योग्य बनाया
घर के कामो के साथ वह
कमाना भी जानती है
किन्तु मुझे गर्व है कि
तुम भी गृह कार्य में दक्ष हो
और सारे काम कर सकते हो
घर के हर काम में उसका हाथ बटाना
अपनी अर्धांगिनी को
पूर्ण अवसर देना
आगे बढ़ने का, प्रगति का
उसकी उन्नति से जलना मत
न उसकी राह में रोड़े अटकाना
तुम दोनों एक दूसरे पर
बोझ बन कर नहीं
मित्रवत रहो
जीवन भर एक दूसरे का
साथ निभाते हुए!
याद रखना
अगर तुम उससे सीता बनने की
उम्मीद कर रहे हो तो
तुम्हे भी मर्यादा पुरुषोत्तम
राम बनना होगा
मैं स्वयं जानती हूँ
और बहुत खुश हूँ कि
और मैं आज सास ही नहीं
एक बेटी की
माँ भी बनने जा रही हूँ!
पुनः तुम दोनों को तुम्हारे विवाह पर
अनेक शुभकामनायें!'