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बेद व्यास नै ग्रंथ बणाया अठारह पुराण कहै सैं / मुंशीराम जांडली

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बेद व्यास नै ग्रंथ बणाया अठारह पुराण कहै सैं
भगवत गीता देवी विष्णु शिव परमाण कहै सैं

श्रीमदभगवत गीता के श्लोकों मै चाहे लिख्या देख ल्यो तड़के
नाराय़ण कै पहरा दे, जय विजय दो लड़के
शंका दिक ऋषि गए स्वर्ग मै तळै गेरे हाथ पकड़के
तीन जन्म करो बुरे काम बैकुंठ मिलैगा अड़के
वेद चुरा के लाया था काश्व बलवान कहैं सै
ब्रह्मा बण कै विष्णु पहुंच्या भारी शैतान कहैं सै
विष्णु पुराण म्हं विष्णु की नाभी म्हं कमल उपजाया,
कमल फूल म्हं ब्रह्म होगे उसनै संभव यज्ञ रचाया,
सतरुपा राणी कै दस लड़के प्रजापति की माया,
उसकै तेरह कन्या थी ऋषियां तै ब्याह कराया
सृष्टि उत्पन्न कर दी उसनै रच दिया असमान कहैं सैं
चंद्र तारे, बाद्ळ, बिजळी रच दिया भान कहैं सैं

शिवजी नै नारायण जन्में ब्रह्म ऋषि खड़े थे
किस ढाल रचाऊं दुनिया नै जल सारै चढ़े खड़े थे
गया फूट बुलबुला पाणी का म्हैं विष्णु जी लिकड़े थे
पुत्र पिता का झगड़ा होग्या वें लाखों वर्ष लड़े थे
विष्णु गया पताळ लोक ब्रह्मा आसमान कहैं सैं
गऊ माता नै झूठ बोल दी उनका घटग्या मान कहैं सैं

सूर्य पुराण मैं सूरज नै रची सृष्टि ब्रह्मांड मैं
दुर्गे पुराण मैं दुर्गे नै संसार रच्या मारकंड मैं
गरूड़ पुराण मैं न्यारा रच दिया बाकी गणेश खंड मैं
झूठी शिक्षा देवण लागे दुनिया फसगी फंड मैं
श्री रामचंद्र कृष्ण जी नै दुनिया भगवान कहै सैं
“मुंशीराम” तेरी जांडलियां म्हं सब विद्वान कहैं सैं