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बेमाता ई भूलगी / नीरज दइया
Kavita Kosh से
अड़ी बगत मांय
आडा आया तो ई
आज जस नीं है।
मादळियै दांई
जसोलियो घड़ीजै कठै?
आज लखावै-
बेमाता ई भूलगी
उण ई नीं घड़ियो जसोलियो
थारै-म्हारै खातर
इणी’ज खातर तो
जस री ठौड़
ठौड़-ठौड़ मिलै
आपां नै
भूंड भायला।