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बेरहम हवा / रणजीत
Kavita Kosh से
बहती है बेरहम हवा पतझार की
उमग सर्द सिहरन-सी आती याद तुम्हारे प्यार की
पीले पीले पत्ते इसमें झर धीरे से झूलते
तभी असह हो उठती मुझको कटुता मेरी हार की।